टमाटर की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है. दोमट मिट्टी के अलावा इसकी खेती और भी कई तरह की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है. इसके लिए मिट्टी के अंदर पौषक तत्व उचित मात्रा में होने चाहिए. और मिटटी का पी.एच. मान 6 से 7 तक होना चाहिएटमाटर की खेती के लिए भुरभुरी मिट्टी की जरूरत होती है. इसके लिए खेत में पानी छोड़ दें. पानी छोड़ने के बाद खेत की कुछ दिन बाद अच्छे से जुताई कर उसमें पाटा लगा दें. जिससे मिट्टी में मौजूद सभी ढेले टूटकर भुरभुरी मिट्टी में बदल जाते हैं. उसके बाद खेत में उचित दूरी पर मेड बना दें.टमाटर के बीजों को सीधा खेत में नही उगाया जाता, इसके लिए पहले नर्सरी में पौध तैयार की जाती है. पौध को खेत में लगाने से पहले क्यारियों में पानी देकर उन्हें गिला कर लेना चाहिए. जिससे पौध कम मात्रा में खराब होती हैं. पौधे को खेत में लगाते टाइम हमेशा शाम के वक्त इसकी रोपाई करनी चाहिए. इससे पौधे के नष्ट होने के चांस सबसे कम होते हैं. पौधे को खेत में लगाने के साथ ही पानी दे देना चाहिए. टमाटर के पौधे की शुरूआती सिंचाई पौध के खेत में लगाने के साथ ही कर देनी चाहिए. उसके बाद जब तक पौधा अच्छे से अंकुरित ना हो जाए तब तक खेत में नमी की मात्रा बनाये रखे. और जब सभी पौधे पूरी तरह से अंकुरित हो जाएँ नष्ट हुए पौधों को बहार निकाल दें. सर्दी के मौसम में खेत में नमी बनाये रखने के लिए सप्ताह में एक बार पानी देना चाहिए. टमाटर के फल पौध लगाने के लगभग 90 दिन बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं.