मिर्च की फसल के लिए गर्म तथा आर्द्र जलवायु लाभकारी हैं| इसके पौधे के लिये अत्यधिक ठंड व गर्मी दोनों ही हानिकारक हैं| इसकी खेती हर प्रकार की जलवायु में आसानी से की जा सकती है| वर्षा आधारित फसल के लिए 100 सेन्टीमीटर वर्षा वाले क्षेत्रों में भी आसानी से उगाया जा सकता है|
जीवांशयुक्त दोमट या बलुई मिटटी जिसमें कार्बनिक पदार्थ की मात्रा अधिक हो सबसे उपुयक्त होती है|
मिर्च की रोपाई वर्षा, शरद, ग्रीष्म तीनो मौसम में की जा सकती है|रोपाई के लिये पौध 25 से 35 दिनों से अधिक पुरानी नही होनी चाहिए
मिर्च की फसल को मिट्टी की किस्म, भूमि के प्रकार व वर्षा के आधार पर सिंचाई कर सकते हैं। यदि वर्षा कम हो रही हो तो 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए| हेक्टेयर क्षेत्रफल मे 25 से 30 टन गोबर की पूर्णतः सड़ी हुयी खाद या 5 से 6 टन वर्मीकंपोस्ट खेत की तैयारी के समय मिलायें | हरी मिर्च रोपाई के लगभग 85 से 95 दिन बाद तोड़ने योग्य हो जाती है| इस तरह 1 से 2 सप्ताह के अन्तर पर पके फलों को तोड़ा जाता है| इस प्रकार 8 से 10 बार तोड़ाई की जाती है|